
रामकिंकर बैज (Ramkinkar Baij) का जन्म
पश्चिमी बंगाल के बांकुरा में 26 मई 1906 ई 0 को आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े परिवार में हुआ था रामकिंकर बैज (Ramkinkar Baij) को आधुनिक भारतीय मूर्तिकला का जनक भी कहा जाता है रामकिंकर बैज (Ramkinkar Baij) की शिक्षा शांति निकेतन से संपन्न हुई
रामकिंकर बैज (Ramkinkar Baij) की कला शिक्षा में निजी शैली के नये प्रतिमानों की स्थापना हुई यह प्रथम भारतीय मूर्तिकार हैं जिन्होंने सीमेंट व कंकरीट माध्यम का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग किया इन पर कहीं पुस्तकों की भी रचना हुई जैसे आर शिवा कुमार द्वारा रचित
रामकिंकर बैज (Ramkinkar Baij) यक्ष – यक्षी सोमेंद्र नाथ बंदोपाध्याय द्वारा रचित माई डेज विभ रामकिंकर व प्रो 0 ए 0 रामचंद्रन द्वारा रचित द मेन एंड द फिल्म का निर्माण प्रारंभ किया गया था लेकिन यह फिल्म अधूरी रह गई
पुरस्कार –
सन 1970 ईस्वी में भारत सरकार द्वारा पदम भूषण सम्मानित किया गया
प्रमुख मूर्ति शिल्प –
संभाल परिवार, मिल कॉल, महात्मा बुध, मिथुन, सुजात, व रविंद्र नाथ टैगोर का आवक्ष (पोट्रेट) आदि प्रमुख है
मिल कॉल –
मूर्ति शिल्पी की रचना सन 1956 ईस्वी मे रामकिंकर बैज (Ramkinkar Baij) द्वारा की गई जो की शांतिनिकेतन में स्थापित है इसका ढांचा बनाने में लोहे का उपयोग किया गया तथा जिस पर आकार बनाने हेतु सीमेंट बजरी का उपयोग किया गया
इस स्मार्किम मूर्ति शिल्प में दो स्त्रियां व बालक तेज गति से जाते हुए दर्शाया गया है
ये चावल की मेल मैं काम करने वाली मजदूर स्त्रियां हैं जिनको मिल के समान की आवाज सुनाई दी जिससे वे मिल की तरफ प्रस्थान करती रही है इनके पास कपड़े सुखाने का भी समय नहीं है इसलिए
वह दौड़ते हुए कपड़े सुखा रहे हैं तेज गति दिखाने के लिए स्त्रियों के वस्त्रों को उड़ते हुए पैरों से मिट्टी को उछलते हुए प्रदर्शित किया गया है
एक स्त्री को आगे की ओर देखते हुए दूसरी स्त्री को पीछे की ओर देखते हुए दिखाया गया है बालक का मुख ऊपर की ओर देखते हुए दिखाया गया है इस मूर्ति शिल्प में कला गत दृष्टि से गति प्रभाव लावणी वह प्रमाण आदि का समावेश श्रेष्ठ रूप से किया गया है
संथाल परिवार –
इस मूर्ति शिल्पी की रचना सन 1938 में शांतिनिकेतन में की गई जिसमें एक साथ परिवार के एक पुरुष व एक महिला को दिखाया गया है महिला के बाएं हाथ में एक शिशु जबकि पुरुष के बाएं कंधे पर बड़ा कांवर है जिसके आगे की तरफ वाली टोकरी एक शिशु को बैठे हुए दिखाया है
जिसके भार को संतुलित करने के लिए पिछली टोकरी में समान रखा दिखाया है साथ ही एक (कुत्ता) को दिखाया है महिला को सिर पर टोकरी व दरी – पट्टी रखे दिखाया है यह शिल्प आदम कद से डेढ़ गुना बड़ा है
प्रस्तुत मूर्ति शिल्प में जनजाति कृषक गरीब संभाल परिवार का जीवन प्रस्तुत किया गया है जो जीविकोपार्जन हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हुए दिखाया है