एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain Biography In Hindi )

M. F. Husain
               M. F. Husain

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain)

मकबूल फिदा हुसैन एक आत्म दीक्षित चित्रकार हैं, इनका सम्पूर्ण कलाक्रम आकृतिपरक है। आज हुसैन भारतीय कला जगत् के सिरमौर हैं और कार्पोरेट जगत् के दिग्गजों की दृष्टि में किसी चमत्कार से कम नहीं हैं।

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) जन्म तथा कला साधना:

हुसैन का जन्म सन् 1916 ई. में ‘ शौलापुर’ नामक स्थान पर हुआ। उन्होंने इन्दौर के आर्ट स्कूल में मात्र एक वर्ष ही कला शिक्षा ग्रहण की, उसके बाद वे मुम्बई आ गये और सन् 1936 ई. तक सिनेमा पोस्टरों और होर्डिंग्ज को रंगने में अपने संघर्ष का सिलसिला शुरू किया।

सतत् नवीन प्रयोग करते रहने वाले कलाकार हुसैन आज अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों में गिने जाते है। नित नये प्रयोगों ने ही हुसैन को कला में शिक्षित किया। मोटी रेखाओं द्वारा रेखांकित आकृतियाँ, दैनन्दिन जीवन के दृश्यों को प्रदर्शित करती है।

एक ओर आपके चित्रों के विषय गायकों, संगीतज्ञों, धर्मगुरुओं, वैज्ञानिकों, नर्तकियों, नेताओं इत्यादि के है, तो दूसरी ओर आपने घोड़े, हाथी, पशु, पक्षी, तीर-कमान और लोक प्रतीकों का भी चित्रांकन किया है। ‘ सरस्वती’, ‘ कृष्णकथा’, ‘ माधुरी’, ‘ योडे’, ‘ महाभारत’ इत्यादि पर चिकित खलाएँ आपकी पहचान है।

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) शैली का विकास:

मोटी रेखाओं में घिरी आकृतियों में दैनिक जीवन के सैकड़ों चित्रों के निर्माण के साथ-साथ आपने रेखाचित्र भी बनाये हैं। गाय, हाथी, बैलों की आकृतियों को आपने भिन्नता के साथ प्रस्तुत करने में महारत हासिल की है।

धुंधले मटमैले रंगों में नारी-पुरुष विशेषत: नारी आकृतियों को चित्रित कर हुसैन ने अपनी एक विशिष्ट परिचित शैली का विकास किया है, जो ‘ हुसैन शैली’ के नाम से प्रसिद्ध है।

‘ स्त्री देह का मांसल सौन्दर्य’ और ‘ सेन्सुअलिटी’ उनका प्रिय विषय है और यही भाव उनके चित्रों में उभर कर आता है। भारतीय शिल्प में मथुरा संग्रहालय की उन्नत वक्षयुक्त नारी ‘ की प्रतिमा ने उन्हें आकर्षित किया। उनका मानना है कि स्त्रियाँ कष्ट झेलती हैं, जन्म देती हैं,

उनके नेत्रों में दया और सीने में प्रेम होता है। उनके चित्रों में नग्न नारियों की आकृतियों के चित्रण के प्रश्न पर वे कहते हैं कि उनके चित्रों में नग्न नारी के प्रति मंदिर कला का भाव है

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) प्रसिद्ध चित्र व शीर्षक:’

मुक्ति बोध ‘ की कविताओं पर आधारित चित्र भी हुसैन ने बनाये हैं। उनके बनाये’ घोड़े ‘ जड़ता के विरुद्ध एक संघर्ष है, गति और ऊर्जा के रहस्यमय प्रतीक हैं। इसी तरह एक विलक्षण कृति’ जमीन ‘ है,

जो कई खंडों में विभाजित है। एक खंड में विशाल काला सूर्य, एक बैठी हुई नग्न स्त्री की ओर बढ़ रहा है। उसके पैरों के बीच एक बच्चे की विकृत आकृति है। लाल गाढ़े रंग से किया प्रभावशाली अंकन और कल्पनाशीलता का अद्भुत नमूना है यह चित्र।

सन् 1958 ई. में बनाये’ लैंप ‘ और’ मकड़ी ‘ के बीच के रहस्यमय अंकन हों, या मुक्ति का आह्वान करते ऊर्जा के अक्षय स्रोत ‘ घोड़े’। ‘ दो स्त्रियों का संवाद’, ‘ जमीन’, ‘ दुपट्टों में तीन औरतें’, ‘ रागमाला’, ‘ नृत्य,’ रामायण ‘,’ महाभारत ‘,’

राजस्थान ‘,’ कश्मीर ‘, ‘ मैसूर ‘,’ अन्तिम भोज ‘ (चित्र -85),’ मध्यपूर्व ‘,’ बनारस ‘ आदि श्रृंखलाएँ एवं’ महात्मा गांधी ‘,’ आपातकाल ‘,’ मदर टेरेसा ‘,’ माधुरी दीक्षित ‘ आदि उनके अत्यन्त महत्त्वपूर्ण चित्र रहे हैं।

मदर टेरेसा चित्र भी अत्यन्त भावपूर्ण और विलक्षण कृति है। आपातकाल के समय उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी के तीन चित्र बनाये, जिसकी तुलना उन्होंने देवी से की।

प्रगतिशील कलाकार, कला जगत में अपनी पहचान बनाने में इन निरन्तर प्रयत्नशील रहे। सन् 1947 ई. में वे मुम्बई के स्थानीय ‘ प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स गुप’ के संस्थापक सदस्यों में थे। आपके साथ अन्य कलाकारों में रजा, आरा, सूजा, गायतोदे आदि भी थे।

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) के चित्रों की प्रसिद्ध प्रदर्शनियाँ:

सन् 1950 ई. में हुसैन ने अपने चित्रों की प्रथम एकल प्रदर्शनी मुम्बई की जहाँगीर कला दीर्घा में को, जहाँ उन्हें काफी प्रोत्साहन मिला। उनके चित्र ‘ स्वर्गीय होमी जहाँगीर भाभा’ तथा ‘ बदरी विशाल पित्ती’ जैसे कला प्रेमियों ने खरीदे।

इसके पश्चात् उनकी एकल प्रदर्शनियों का सिलसिला जो भारत के प्रमुख शहरों (दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद) में जारी रहा। यही नहीं विदेशों में भी आपने अपने चित्रों के एकल प्रदर्शन किये।

हुसैन कला अध्ययन एवं अपने चित्रों की प्रदर्शनी हेतु अनेक बार यूरोप के विभिन्न देशों का भ्रमण कर चुके हैं। पेरिस, लंदन, वेनिस, प्राग, साथ ही न्यूयार्क, मॉस्को, चीन व जापान की भी आपने यात्रा की है।

अत: आपके चित्रों में चीनी प्रकृति, फ्रांस का रूप विखंडन तथा ईरानी रंगों का प्रभाव दिखाई देता है। सन् 1971 ई. में ‘ महाभारत की कथा’ के करीब 30 चित्र, ब्राजील की एक चित्र प्रदर्शनी में पिकासो के साथ प्रदर्शित हुये।

सन् 1970 ई. में आपने त्रिवेणी कला संगम, दिल्ली, में एक चित्र निर्माण प्रदर्शन आयोजित किया। जहाँ आपने अचेतन जगत् के आधार पर चित्र रचना कर दिल्ली के नागरिकों को विमुग्ध कर दिया। आपने अपनी एक अमूल्य कृति ‘ नाट्यकर्मी सफदर हाशमी’ की यादगार में हाशमी के नाम गठित ट्रस्ट को भेंट की थी।

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) कला की सार्थकता, प्रसिद्धि व पुरस्कार:

यूँ तो हुसैन (M. F. Husain) को अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है, किन्तु प्रमुख पुरस्कारों में सन् 1955 ई. में केन्द्रीय ललित कला अकादमी, दिल्ली का है।

सन् 1959 ई. में तोकियो की अन्तरराष्ट्रीय द्विवार्षिकी चित्र प्रदर्शनी व सन् 1973 ई. में गणतंत्र दिवस पर, भारत सरकार ने उन्हें ‘ पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया।

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) कि आलोचना:

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) के चित्रों पर यह आरोप लगाया जाता है कि वे ‘ पोस्टर क्वालिटी’ के हैं। कई बार इनके चित्रों का सामाजिक व राजनीतिक दोनों ही कारणों से विरोध किया गया है।

इनके प्रसिद्ध चित्र ‘ सरस्वती’ का समाज द्वारा काफी विरोध किया गया। लोगों का मानना है कि वे हमेशा चर्चा में रहने व राजनेताओं और उद्योगपतियों के ध्यानाकर्षण के लिए ऐसा करते हैं।

इस कारण अनेक बार उन्हें विवादों का सामना भी करना पडा, जिनका जवाब वे चित्र निर्माण के जरिये देते हैं। आपने न केवल चित्र निर्माण ही किया, बल्कि अपनी कला प्रतिभा का प्रदर्शन फिल्म निर्माण करके भी किया।

एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) की प्रसिद फिल्मों का निर्माण:

सन् 1982 ई. तक हुसैन ने 12 फिल्मों का निर्माण कर लिया था। वे कहते हैं, ” घोड़े बेचता हूँ, फिल्में बनाता हूँ।’

‘ आपके द्वारा निर्देशित फिल्म’ दी आईज ऑफ ए पेन्टर ‘ (Through the Eyes of a Painter) राजस्थानी शैली में फैले जीवन के आधार पर बनाई गई थी। इस फिल्म कृति पर उन्हें बर्लिन महोत्सव का’ गोल्डन वियर ‘ अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

इसके अलावा’ गजगामिनी ‘ और’ मीनाक्षी ‘ उनकी सिनेमा में कलात्मक सोच दर्शाती है।एम.एफ. हुसैन (M. F. Husain) के अन्य शौक: हुसैन केवल चित्रों तक ही सीमित नहीं रहे, आपने व्यापारिक कला को भी आजीविका का साधन बनाया तथा बच्चों के लकड़ी के खिलौनों के भी अनेकडिजाइन बनाये।

एम.एफ. हुसैन(M. F. Husain) को चित्रकारी के अतिरिक्त’ शायर इकबाल की शायरी ‘ का भी शौक रहा है। इस प्रकार हुसैन का व्यक्तित्व एवं कृतित्व एक मनमौजी कलाकार का रहा है। हुसैन सदा हो विवादास्पद रहे।

नंगे पैर, फकीराना सूरत लिये, कभी माधुरी दीक्षित के मांसल सौन्दर्य के प्रति दीवानगी दिखाते हुये, तो कभी देवी-देवताओं के नग्न चित्रण करते किन्तु उनकी
शक्तिशाली रंगों की घनता में साहसिक व उभरी काली रेखाओं द्वारा मानवीय प्रारूप की कल्पनात्मक चेतना की सच्ची झलक देखी जा सकती है

 

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