जोगीमारा की गुफाएँ

Jogimara Caves In Hindi
Jogimara Caves In

जोगीमारा की गुफाएँ (Jogimara Caves) (2 सदी ई.पू.)

भौगोलिक स्थिति

पुरानी सरगुजा रियासत में स्थित जोगीमारा गुफा (Jogimara Caves) वर्तमान में छतीसगढ़ के अमरनाथ नामक स्थान पर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल रामगढ़ की पहाडियों पर स्थित है। यहाँ पर ये दो गुफाएं है। जोगीमारा (Jogimara Caves)  को पहले एक देवदासी का निवास स्थान माना जाता था।

किन्तु यही प्राप्त एक शिलालेख के अनुसार यह ” वरूण देवता का मन्दिर था। वरूण देवता की सेवा में सुतनुका नामक देवदासी यहाँ रहती थी। यहीं पास में एक अन्य गुफा प्रेक्षागार (नाट्यशाला) है। रूपदा देवदीन इस प्रेक्षागृह का प्रमुख नायक पात्र था। सुतनुका इस रूपदक्ष देवदीन पर प्रेमासक्त थी।

इस प्रेमासक्ता के कारण सुतनुका को प्रेक्षागार के अधिकारियों का कोपभाजन होना पड़ा तथा बाद में वियोग में अपना शेष जीवन बिताना पड़ा। रूपदक्ष देवदीन ने इस प्रेम प्रसंग को जोगीमारा के निकट सीता बोगरा के प्रेक्षागृह की भित्ति पर अभिलेख के रूप में अंकित किया है।

वर्तमान में यह स्थान एक तीर्थस्थल के रुप में विकसित है, किन्तु यहाँ तक पहुँचने के लिए आवागमन के अच्छे साधन नहीं हैं। एक किंवदंती के अनुसार वनवास काल में राम ने इन पहाड़ियों पर कुछ समय व्यतीत किया था।

इन गुफाओं में भित्ति चित्रों के प्राचीनतम जोगीमारा गुफा (Jogimara Caves) का समय अजन्ता से भी पुराना है) अवषेश देखने को मिलते हैं। जोगीमारा गुफा (Jogimara Caves) की दीवारें अजन्ता की तरह सपाट और अच्छी नहीं है।

यहाँ का धरातल कहीं-कहीं खुरहरा है और कहीं-कहीं पर बहुत पतले चूने का प्लास्तर है। प्लास्तर में अजन्ता वाली गुणवत्ता नहीं है। वैसे जोगीमारा (Jogimara Caves) की गुफा का काल 300 वर्ष ई. पूर्व माना गया है,

किन्तु यहाँ मूल चित्रों पर (पुराने प्रथम चित्रों पर) अपरिपक्व व अकुशल कलाकारों द्वारा पुनचित्रण का प्रयास किया गया है।  दूसरी बार के लगाये गये रंग और रेखाएँ स्पष्ट अलग ही दिखाई देती हैं। यहाँ की छत भी बहुत नीची है। जोगीमारा (Jogimara Caves) की गुफा 6 फीट चौडी, 6 फीट ऊँची और 10 फीट गहरी है।

यह दूसरी बार का चित्रण कब हुआ? कहा नहीं जा सकता है। किन्तु पुराने मूल चित्रों को हम मौर्यकाल के अद्वितीय उदाहरण मान सकते हैं। जोगीमारा के चित्रों के विषय की धर्म सम्बद्धता स्पष्ट नहीं है, कि ये चित्र किस धर्म के हैं।

फिर भी डॉ.ब्लॉख इन्हें तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मानते हैं, और इस चित्र शैली को समकालीन भरहूत और साँची की मूर्तिकला से साम्यता बतातें हैं। डॉ. रायकृष्ण दास इन चित्रों को जैन धर्म के मानते हैं, तो असित कुमार हलदार देव-दासियों के विषयों से इन चित्रों का संबंध जोडते हैं।

1914 में क्षेमेन्द्रनाथ गुप्त और असित कुमार हलदार ने जोगीमारा के चित्रों का अध्ययन किया और अनुकृतियाँ भी तैयार की। दोनों कला मर्मज्ञों ने इस गुफा में तत्कालीन प्राप्त सात चित्र खण्डों के अवशेषों का वर्णन निम्नानुसार किया हैं

जोगीमारा की गुफा (Jogimara Caves) के चित्र

पहला चित्र

चित्र के केन्द्र में वृक्ष के नीचे एक पुरूष बैठा है। जिसके बाई और कुछ नर्तकियों और संगीतज्ञ हैं। दाहिनी ओर एक हाथी के साथ जुलूस का दृश्य है। नीचे की ओर आलंकारिक रेखाओं से लहरदार पानी को व्यंजित किया है।

पानी में मछलीनुमा एक विशाल आकृति है, यह मगरमच्छ भी हो सकता है। सम्भवतः यह पौराणिक गजग्रह कथा का वर्णन हो।

दूसरा चित्र

इस चित्र में कुछ ही पत्तियों वाले वृक्ष के नीचे चार आकृतियाँ विश्राम कर रही हैं। शायद पतझड़ का मौसम हो एक मोटा तथा सपाट तने पर कुछ ही पत्तियाँ लाल रंग से बनाई है, जो सम्भवतः कोपलों का आभास देती है।

तीसरा चित्र

इस चित्र मे सफेद पृष्ठ भूमि पर एक उद्यान का दृश्य अंकित है। नीचे लाल रंग की कुमुदनी के फूलों पर लाल ही रंग से एक स्त्री-पुरूष (युगल) नृत्य करते चित्रित है, चित्र में लाल रंग की अधिकता है।

चौथा चित्र

इस चित्र में एक व्यक्ति के सिर पर चोंच बनाई गई है, तथा साथ ही कई छोटे-छोटे बोने व्यक्ति बनाये हुए हैं। भारतीय स्थापत्य और साहित्य में ऐसे बोनों का खूब अंकन हुआ है। राजपरिवार में हास्य-विनोद के लिए भी इन बोनों को काम मे लिया जाता था।

पाँचवाँ चित्र

इस चित्र का केन्द्र बिन्दु एक भावमग्न नर्तकी का है। उसके चारों ओर वाद्य-यंत्र लिए कुछ मानवाकृतियाँ है। पास में चार व्यक्ति खड़े हैं, जिनमें एक व्यक्ति नंगा है। इस नृत्य-गायन दल के पास ही तीन घोड़ों से बंधा एक रथ है,

साथ में एक हाथी और महावत भी चित्रित है। फिर कुछ पुरूष, एक घर, जिसमें चैत्य बना है, घर की खिडकी और एक अन्य हाथी है।

छठा चित्र

इस चित्र में प्राचीन प्रकार के रथों की तरह के चैत्यों का चित्रण है।

सातवॉ चित्र

इस चित्र मे ग्रीक रथों से साम्यता रखते भवन बने हैं इस चित्र के किनारों पर आलेखन हैं, जिनमें मछलियाँ, मगर व अन्य जीव-जन्तुओं का चित्रण है

जोगीमारा (Jogimara Caves) के चित्रों की विशेषताएं

आकृतियों-आकृतियाँ फलतः आकृतियाँ जोगीमार जोगीमारा की गुफाएँ (Jogimara Caves) अजन्ता भरहूत सामान्य की जैसी चित्रकारी और, किन्तु चित्र सांची लावण्यमयी परम्परा अजन्ता से साम्यता शुरू के लिए हैं रखती हुयी। यहाँ। पूर्व है जोगीमारा के। पीठीका बोनों की की थी,

रंग-जोगीमारा के चित्रों में हिरोन्जी, लाल, सफेदखडिया और वनस्पति हरा रंग को काम मे लिया गया है। व अकुशल कलाकारों द्वारा पुनर्चित्रण का प्रयास किया गया है।

संयोजन -संयोजन में सम्मुख नियम का निर्वाह किया गया है चित्रित संयोजन सुंदर है ।

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