एफ एन सूजा (F N Souza)
जन्म एवं बाल्यकाल :
प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप के अगुआ एवं संस्थापकों मैं से एक गिने जाने वाले कलाकार एफ एन सूजा (F N Souza)का जन्म सन 1924 ईस्वी को गोवा मैं हुआ था बाल्यकाल में ही एफएन सूजा के पिताजी की मृत्यु हो गई थी।
अतः ये मां के साथ मुंबई में रहने लगे किंतु एफ एन सूजा (F N Souza)के स्वास्थ्य मैं गिरावट के कारण उनकी मां ने उन्हें गोवा भेज दिया जहां वे अपनी दादी के साथ रहते थे।
एफ एन सूजा (F N Souza)की शिक्षा:
एफ एन सूजा (F N Souza)की चित्रकला में रुचि थी अतः इन्होंने सन 1939 ईस्वी में मुंबई के सर जेजे स्कूल आफ आर्ट्स मैं प्रवेश लिया एफ एन सूजा (F N Souza)प्रारंभ से ही विरोधी विचारधारा के थे।
एफ एन सूजा (F N Souza)के जीवन में ऐसी घटनाएं घटी जिन्होंने उनके मन पर विपरीत प्रभाव डाला और उन्हें विद्रोही बना दिया एक थी ।
पारिवारिक निर्धनता दूसरे जीवन संग्राम मैं अग्रसर होने के साधनों का अभाव और अनाकर्षक व्यक्तित्व के कारण आपको दो बार विद्यालय से निकाला गया उनकी मनोव्यथा की ही प्रतिक्रिया है जिसके कारण उनके रंग और रेखाओं में समाज की पीड़ा और घुटन समाहित दिखाई देती है
एफ एन सूजा (F N Souza)पर प्रभाव :
एफ एन सूजा (F N Souza)को शुरू में मैक्सिको के सुप्रसिद्ध कलाकार दीगो रिबेरा ने अत्यधिक प्रभावित किया दीगो रिबेरा के चित्रण में निर्माण कौशल और संगठन विधि और जोज औरोज के चमकीले रंगों के विविध ने उन्हें पर प्रभावित किया कि
उनके चित्रों पर भी यही छाप दिखाई देती है इसके पश्चात सेंजा, गोंगा और मातिस का प्रभाव भी उनकी कला पर पड़ा जो ब्लू लेडी, धूसर भू-दृश्य जैसे चित्र में दिखाई देता है ।
जार्जेल राहुले की कला से प्रेरित होकर आपने गोथिक पद्धति पर क्राइस्ट और बाइबल की कथा आख्यानो जैसे आदम और ईव का स्वर्ग से बहिष्कार आदि चित्रों का निर्माण किया ।
मूर्ति कला में खजुराहो की मूर्ति भंगिमाओं ने भी इन्हें विशेष आकृष्ट किया जिसकी प्रेरणा से आपने प्रणयी नामक शीर्षक लिए चित्र ज्यामितीय आकार में चित्रित किया इसके पश्चात आप भारतीय लोक कलाओं, नीग्रो और मायन
मूर्तिकला सहज पुरातनता ने भी इन्हें प्रभावित किया
प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की स्थापना :
एफ एन सूजा (F N Souza)ने सन 1947 ईस्वी में प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की स्थापना की उनका कथन था कि अपने लोगों के बीच प्रेरणा स्त्रोत कायम करने के लिए एक ग्रुप की नींव डाली जानी चाहिए ।
जिसका सहयोग आरा एवं एस एच रज़ा ने किया और इस ग्रुप का नाम प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप कर दिया क्योंकि प्रोग्रेसिव शब्द में आगे जाने आगे बढ़ने क्या भाव छिपा होता है प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की स्थापना और भारत की स्वतंत्रता एक जैसे ही है
सन 1948 ईस्वी में प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की पहली समूह प्रदर्शनी हुई एफ एन सूजा (F N Souza)ने कहां है वक्त हुई। यह बात सांकेतिक तो जरूर थी, पर बिल्कुल अनायास। ” सन् 1949 ई. में उन्होंने ‘ पोर्टेट ऑफ प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप ‘ का चित्रांकन किया।
एफ एन सूजा (F N Souza) की चित्रण यात्रा:
सूज़ा’ आकृतियों के कलाकार ‘ के लिये मशहूर रहे हैं। उनके नारी चित्रों में आकृतियाँ अनेक अनुभूतियाँ, कोमल भावनाएँ, उल्लास और आतुरता दर्शाती हैं। मुखाकृतियों के चित्रण में उनकी रेखाएँ कटीली, धारदार और शक्तिशाली हैं। रेखांकनों में सूजा की पकड़ गहरी पैठ लिए है।
उनके मुख आकार में छोटे, जबड़ा पिचका व मुँह खुला और मुँह पर यत्र-तत्र बनाये नाक, कान एवं आँख, मुखाकृति को निरुद्देश्य बना देते हैं। उनके द्वारा चित्रित’ निर्वसनाओं ‘ का चित्रण भी प्रमुख है।
सन् 1949 ई. से ही सूजा इसी प्रकार के नग्न नारी चित्र बना रहे हैं, जिनमें दया और सौहार्द्र का भाव प्रदर्शित है। कहते हैं कि सारी सभ्यता ही निर्वसन है। अश्लीलता की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है।
उनका कहना है,” मैंने शुद्ध कला के समस्त सिद्धान्तों को ताक पर रखकर, लोभदुर्भिक्ष, बलात्कार, युद्ध और मृत्यु को चित्रित किया है। “‘ सूली ‘,’ नारी ‘ और
दार्शनिक’, ‘ महात्मा गांधी और मनुष्य की दशा’, ‘ सैर को निकला परिवार’, ‘ हजरत’, ‘ ईसा’, ‘ मस्तक’, ‘ निवार्ण’ आदि सूज़ा के प्रसिद्ध चित्रों में गिने जाते हैं।
प्रारम्भ से वर्तमान तक मूर्त चित्रों का सृजन कर रहे सूजा का कहना है कि ” अमूर्त कला जैसी कोई चीज है ही नहीं। हर मूर्त रचना में अमूर्त तत्त्व होते हैं। कला में अमूर्त संभव ही नहीं।”
सन् 1984 में सूजा ने ‘ पोर्टेट ऑफ सेन्फोई रेडमान्ड ‘ बनाया, जो किसी वैज्ञानिक का प्रतीत होता है। केशरहित मस्तिष्क से निकलता त्रिकोणीय आकार पर सूजा कहते हैं,” सूरज को पचा कर अपनी जिन्दगी के प्रिज्म से इन्द्रधनुष बनाओ और ब्रह्माण्ड तुम्हारा हो जायेगा।
” सन् 1949 ई. में सूज़ा ब्रिटेन चले गये। वे समकालीन पश्चिमी कला को महत्त्वपूर्ण नहीं मानते, अपितु आधुनिक भारतीय कला को वे चुनौतीपूर्ण बताते हैं।” प्रदर्शनी: सूजा ने अपने चित्रों का प्रदर्शन मुम्बई, दिल्ली, यूरोप तथा अमेरिका के अनेक देशों में किया है।