अमृता शेरगिल amrita shergil
अमृता शेरगिल (Amrita SherGil)-1913 ई. में हंगरी कीराजधानी बुडापेस्ट में अमृता शेरगिल का जन्म हुआ था।इनके पिता भारतीय थे किन्तु माता हंगेरियन थीं। बचपन सेकला में रुचि होने के कारण 11 वर्ष की उम्र में इटली मेंफ्लोरेंस की एक चित्रशाला में कला शिक्षा ग्रहण कर पेरिस की चित्रशालाओं में भी कला शिक्षा ग्रहण की।
उनके चित्रों की प्रदर्शनी 1931 ई. में पेरिस में हुई। इस चित्र प्रदर्शनी से वे विश्वविख्यात हो गयीं। 1934 ई. में भारत में आने पर” भारतीय लड़कियाँ” नामक विश्व विख्यात चित्र बनाया। इसचित्र को ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट सोसायटी की प्रदर्शनी में स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ।
1934 से 1937 ई. तक सम्पूर्ण भारत का भ्रमण कर भारतीय कला जीवन तथा अजंता के चित्रों को देखकर ये अत्यन्त प्रभावित हुईं तथा अजंता तथा पहाड़ी चित्रण शैली को समझा।अमृता शेरगिल के कुछ महत्त्वपूर्ण चित्र हैं-पहाड़ीस्त्रियाँ, ब्रह्मचारी, दक्षिण भारतीय ग्रामीण, वधू का श्रृंगार,’ तीन बहिनें’, केले बेचने वाली, कथावाचक, हल्दी पीसने वाली, लाल मिट्टी का हाथी आदि हैं।
अमृता शेरगिल का प्रमुख चित्र ‘ तीन बहिनें’ में आकृतियों, रंगों आदि में पीले रंगों का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। अमृता ने पंजाब की पारंपरिक वेशभूषा तथा संस्कृति को चित्र में सजीव रूप प्रदान किया है। अमृता द्वारा चित्रित ‘ वधू का शृंगार’ महत्त्वपूर्ण चित्र है।आकृतियाँ सरल तथा धूमिल रंग संगत में प्रयोग की गयी हैं। चित्र में भारतीय लोक संस्कृति स्पष्ट रूप में दिखाई देती है।