राजस्थान का एकीकरण rajasthan ka ekikaran

राजस्थान का एकीकरण rajasthan ka ekikaran

राजस्थान का एकीकरण

आजादी के बाद भारत में 565  रियासतें शामिल की गई जिनमें से 19 रियासतों को मिलाकर राजस्थान राज्य का निर्माण किया गया

राजस्थान का एकीकरण का कार्य संग्रहालय के अधिन रियासती विभाग द्वारा किया गया था

रियासती विभाग की स्थापना 5 जुलाई 1947 की गई एकीकरण में सर्वाधिक योगदान तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल और रियासती  विभाग के सचिव बी.पी मेनन का रहा

गृह मंत्रालय द्वारा घोषणा की गई थी कि ऐसी रियासतें जिनकी  जनसंख्या 1o लाख या इससे अधिक हो तथा वार्षिक आमदनी 1 करोड़ या इससे अधिक हो तो एसी रियासतों को पृथक राज्य का दर्जा दिया जाएगा इस नियम अनुसार राजपूताना की निम्न 4 रियासतें पृथक  राज्य कर सकती थी

जयपुर
जोधपुर
उदयपुर
बीकानेर

मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिह ने 1946 में उदयपुर में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश से राजपूत राजाओं का एक सम्मेलन बुलाकर राजस्थान यूनियन बनाने का प्रयास किया था जो असफल रहा

इसी प्रकार कोटा महाराजा भीम सिंह हाडा ने हाडोती संघ, जयपुर महाराजा, सवाई मान सिंह   द्वितीय ने जयपुर संघ और डूंगरपुर महाराजा लक्ष्मण सिंह ने वागड़ संग बनाने का प्रयास किया था जो असफल रहा

राजस्थान का एकीकरण में भारत के विलय पक्ष पर हस्ताक्षर करने वाली पहली रियासत बीकानेर थी

बीकानेर महाराजा शार्दुल सिंह ने ही 7 अगस्त 1947 को भारत के विलय पक्ष पर सर्वप्रथम हस्ताक्षर किए थे अंग्रेजी सरकार द्वारा देसी रियासतों के राजाओं को विशेष अवसरों पर तोपों की सलामी करने का अधिकार दे रखा था

इस कारण देसी रियासतों को सेल्यूट स्टेट कहा जाता था जबकि ठिकाने दारो सलामी देने का अधिकार नहीं होता है इस कारण उन्हें नॉन सेल्यूट स्टेट कहां जाता था राजस्थान की सबसे बड़ी सेल्यूट स्टेट जयपुर और उदयपुर थी

क्योंकि यहां के राजाओं को विशेष अवसरों पर अपनी रियासत में 21 तोपों की और अपनी रियासत के बाहर 19 तोपों की सलामी लेने का अधिकार होता था

राजस्थान का एकीकरण के समय क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान की सबसे बड़ी रियासत बीकानेर थी जिसका क्षेत्रफल 23317 वर्ग मील था जबकि सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी जिसका क्षेत्रफल 405 वर्ग मील था

जनसंख्या की दृष्टि से राजस्थान में सबसे बड़ी रियासत जयपुर थी जिसकी 1941 मैं जनगणना के अनुसार जनसंख्या 30 लाख थी

जबकि सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी जिसकी जनसंख्या 61000 थी

राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत मेवाड़ थी जबकि सबसे नवीन रियासत झालावाड़ थी

स्वतंत्र भारत सरकार ने राजाओं को उनकी रियासत के बदले वार्षिक प्रिविर्स् दिए जाते थे

सबसे बड़ा  प्रिविर्स् जयपुर महाराजा को 18 लाख रुपए वार्षिक दिया जाता था जबकि सबसे छोटा प्रिविर्स् शाहपुरा के राजा को 90, 000 रुपए वार्षिक दिया जाता था

एकीकरण के अंतर्गत राजस्थान में 19 रियासतें 3 ठिकाने और अजमेर, मेरवाड़ा नामक चीफ कमिश्नरी शामिल की गई थी

3 ठिकाने

( 1) कुशलगढ़ – राव हरेंद्र सिंह
( 2) नीमराणा – राव राजेंद्र सिंह
( 3) लावा –      राव प्रदीप सिंह

इनमें सबसे बड़ा ठिकाना कुशलगढ़ और सबसे छोटा ठिकाना लावा था

अजमेर मेवाड़ को आजादी के बाद एक राज्य बना दिया गया था यहां के एक  मात्र मुख्यमंत्री हरीभाऊ उपाध्याय थे

अजमेर मेरवाड़ा की विधानसभा को घार सभा कहा जाता था जिसमें 3 सदस्य थे

राजस्थान का एकीकरण 8 वर्ष 7 माह 14 दिन में पूरा हुआ
राजस्थान का एकीकरण 18 मार्च 1948 से 1 नवंबर 1956 के मध्य निम्न 7 चरणों में संपन्न हुआ

राजस्थान का एकीकरण  प्रथम चरण – राज्य संघ का नाम – मत्स्य संघ

तिथि – 18 मार्च 1948                                                                     -सम्मिलित रियासतें – A, B,C,D अलवर, भरतपुर ,करौली, धौलपुर + नीमराणा( ठिकाना)                                                                                      राजप्रमुख – उदय भान सिंह (धौलपुर महाराजा)                                            उप राज प्रमुख – तेज सिंह (अलवर महाराजा)                                           प्रधान मंत्री – शोभाराम कुमावत                                                         राजधानी – अलवर                                                                               उद्घाटन –  नन हरि विष्णु गॉड गिल

मत्स्य संघ के नाम का सुझाव कन्हैया लाल माणिक्य लाल ने दिया था

मत्स्य संघ का अधिवेशन 17 मार्च1948 को भरतपुर के लोहागढ़ में हुआ था

मत्स्य संघ की जनसंख्या 18 लाख 34 हजार थी जबकि वार्षिक आमदनी 1 करोड़ 84 लाख थी

भारत सरकार ने अलवर महाराजा तेज सिंह और उनके दीवान एनी. बी  खरे को गांधी जी की हत्या के षड्यंत्र के आरोप में दिल्ली में नजरबंद कर लिया था क्योंकि माना जाता है कि महात्मा गांधी की हत्या करने से पूर्व नाथूराम गोडसे अलवर में रुका था

भारत सरकार ने भरतपुर महाराजा बृजेंद्र सिंह पर भी सांप्रदायिक दंगों का आरोप लगाकर इन्हें भी दिल्ली में नजर बंद कर दिया था

राजस्थान का एकीकरण द्वितीय चरण – राज्य संघ का नाम – राजस्थान संघ/ पूर्वी राजस्थान

तिथि – 25 मार्च 1948

सम्मिलित रियासतें – कोटा, बूंदी, झालावाड़ डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, शाहपुरा, किशनगढ़ टोक + कुशलगढ़ (ठिकाना)
राजप्रमुख – भीम सिंह हाडा (कोटा)
उप राज प्रमुख – बहादुर सिंह हाडा (बूंदी)
राजधानी – कोटा
उद्घाटन – नन हरि विष्णु गाडगिल
बांसवाड़ा  के शासक चंद्र वीर सिंह ने राजस्थान संघ के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं

राजस्थान का एकीकरण तृतीय चरण – राज्य संघ का नाम – संयुक्त राजस्थान

तिथि – 18 अप्रैल 1948
सम्मिलित रियासतें- राजस्थान संघ+ उदयपुर
राजप्रमुख – भूपाल सिंह (उदयपुर)
उप राज्य प्रमुख – भीम सिंह हाडा
प्रधानमंत्री – माणिक्य लाल वर्मा
राजधानी – उदयपुर
उद्घाटन – पंडित जवाहरलाल नेहरू

राजस्थान का एकीकरण चतुर्थ चरण -राज्य संघ का नाम – वृहद राजस्थान

तिथि – 30 मार्च 1949
सम्मिलित रियासतें – संयुक्त राजस्थान+ जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर
राज प्रमुख  – सवाई मानसिंह द्वितीय
उप राज प्रमुख – भीम सिंह, हनुमंत सिंह
प्रधानमंत्री  – हीरालाल शास्त्री
राजधानी – जयपुर
उद्घाटन – वल्लभ भाई पटेल
महाराज प्रमुख – भुपाल सिंह

30 मार्च 1949 को राजस्थान में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना हो गई इस कारण 30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है
पी. सत्यनारायण राव की कमेटी की सिफारिश पर ही जयपुर को  वृहद राजस्थान की राजधानी बनाया गया था

राजस्थान का एकीकरण  पंचम चरण -राज्य संघ का नाम – संयुक्त वृहतर राजस्थान

तिथि – 15 मई 1949
सम्मिलित रियासतें- वृहत राजस्थान+ मत्स्य संघ
महाराज प्रमुख – भूपाल सिंह
राज प्रमुख  – सवाई मानसिंह द्वितीय
प्रधानमंत्री – हीरालाल शास्त्री
राजधानी – जयपुर

मत्स्य संघ के धौलपुर और भरतपुर के राजा उत्तर प्रदेश में मिलना  चाहते थे परंतु शंकरराव देव कमेटी की सिफारिश पर ही इन्हें राजस्थान में मिलाया गया

राजस्थान का एकीकरण षष्ठम चरण- राज्य संघ का नाम- राजस्थान B श्रेणी

तिथि – 26 जनवरी 1950
सम्मिलित रियासतें – संयुक्त वृहतर राजस्थान+ सिरोही (दिलवाड़ा और माउंट आबू को छोड़कर)

महाराज प्रमुख – भूपाल सिंह
राजप्रमुख –  सवाई मानसिंह द्वितीय
प्रधानमंत्री/ मुख्यमंत्री – हीरालाल शास्त्री
राजधानी –  जयपुर

संविधान में भारतीय राज्यों को तीन श्रेणी में बांटा गया था
A श्रेणी – इसमें ब्रिटिश प्रांत से मिलाकर बनाए गए राज्य शामिल किए गए थे

B श्रेणी  – इसमें देसी रियासतों से मिलाकर बनाए गए राज्य शामिल किए गए थे जैसे राजस्थान

C श्रेणी – इसमें चीफ कमिश्नरी शामिल की गई जैसे अजमेर, मेरवाड़ा

सिरोही राजस्थान में शामिल की गई अंतिम देसी रियासत थी  यह राजस्थान से पूर्व मुंबई राज्य में शामिल की गई थी परंतु गोकुलभाई भट्ट और हीरालाल शास्त्री के प्रियासो से इसे राजस्थान में शामिल किया गया

सिरोही का विलीय राजस्थान में दो चरणों में दो या भागों में हुआ था

भूपाल सिंह राजस्थान के एकमात्र महाराज प्रमुख थे इनकी 1955 मैं मृत्यु होने के साथ ही महाराज प्रमुख का पद समाप्त कर दिया गया

राजस्थान के दूसरे मनोनीत प्रधानमंत्री सी. एस.वेकटाचारी थे जबकि तीसरे मनोनीत मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास थे

राजस्थान की पहली निर्वाचित सरकार 3 मार्च 1952 को गठित की गई जिसमें राजस्थान का प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल को बनाया गया

राजस्थान के दूसरे निर्वाचित मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास थे यह राजस्थान  के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री थे जो मनोनीत और निर्वाचित दोनों रूपों से मुख्यमंत्री रहे

राजस्थान के  तीसरे निर्वाचित मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया थे 1954-1971 तक लगातार 17 वर्षों तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे

26 जनवरी 1950 को राजस्थान में पहली बार 25 जिले गठित किए गए

राजस्थान का एकीकरण  सप्तम चरण -राज्य संघ का नाम – राजस्थान

तिथि – 1 नवंबर 1956
सम्मिलित भाग – राजस्थानB श्रेणी+ देलवाडा+ माउंट आबू+ अजमेर+ मेरवाड़ा
राजप्रमुख/ राज्यपाल – गुरु प्रमुख निहाल सिंह
मुख्यमंत्री – मोहनलाल सुखाड़िया
राजधानी – जयपुर

1 नवंबर 1956 को ही राजस्थान का सिरोज मध्यप्रदेश में और मध्य प्रदेश का सुनेल टप्पा राजस्थान में मिलाया गया

फजल अल की अध्यक्षता में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर ही देलवाड़ा ,माउंट आबू,, अजमेर,मेरवाड़ा को राजस्थान में मिलाया गया था

1 नवंबर 1956 को अजमेर को राजस्थान का 26 वा जिला बनाया गया था

राजस्थान B श्रेणी का राज्य था जबकि अजमेर मेरवाड़ा C श्रेणी का राज्य था इस प्रकार वर्तमान राजस्थान का निर्माण B व C नामक दो श्रेणियों से हुआ

संविधान के 7 वे संशोधन के अनुसार 1 नवंबर1956 को राजशाही के अंतिम चिन्ह राजप्रमुख के पद को समाप्त करके उसे राज्यपाल बना दिया और राजस्थान का पहला राज्यपाल गुरुमुख निहाल सिंह को बनाया गया

 

राजस्थान का एकीकरण rajasthan ka ekikaran

 

Leave a Reply