डॉ. मनमोहन सिंह की जीवनी – Manmohan Singh Biography in Hindi

डॉ. मनमोहन सिंह का प्रारंभिक जीवन

डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के 14वें प्रधानमंत्री और एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री, का जीवन संघर्ष और उपलब्धियों की एक प्रेरणादायक कहानी है। उनकी प्रारंभिक जीवन यात्रा, जिसने उन्हें भारतीय राजनीति और वैश्विक अर्थशास्त्र में एक प्रभावशाली व्यक्ति बनाया, कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत में गाह नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। यह क्षेत्र अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है। उनके पिता का नाम गुरमुख सिंह और माता का नाम अमृत कौर था। मनमोहन सिंह एक सिख परिवार में जन्मे थे, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का गहरा प्रभाव था।

उनके पिता एक साधारण व्यवसायी थे, जो भारत के विभाजन से पहले छोटे व्यापारों में संलग्न थे। हालांकि परिवार बहुत अधिक संपन्न नहीं था, लेकिन वे अपनी साधारण स्थिति में खुश थे। मनमोहन सिंह का बचपन एक शांतिपूर्ण और पारंपरिक वातावरण में बीता, जहां उन्होंने परिवार और समुदाय के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए।

विभाजन का प्रभाव

1947 में भारत के विभाजन ने लाखों परिवारों को विस्थापित कर दिया, और मनमोहन सिंह का परिवार भी इससे अछूता नहीं रहा। विभाजन के बाद, उनका परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया और अमृतसर में बस गया। यह समय उनके परिवार के लिए बेहद कठिन था। विभाजन के दौरान हुए दंगों और संघर्षों ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला, जिससे उनकी सोच और भविष्य की दिशा तय हुई।

शिक्षा का प्रारंभ

मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर में की। उनके परिवार ने उनकी शिक्षा को प्राथमिकता दी, क्योंकि वे मानते थे कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे जीवन में उन्नति की जा सकती है। मनमोहन सिंह के पिता ने उन्हें अच्छे स्कूल में भेजने का निर्णय लिया, ताकि वे एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकें।

उन्होंने अमृतसर के हिंदू कॉलेज से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। यहां उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से शिक्षकों और सहपाठियों के बीच एक विशिष्ट पहचान बनाई। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही उनके अंदर पढ़ाई के प्रति एक गहरी रुचि और समर्पण विकसित हुआ, जो आगे चलकर उनकी सफलता का आधार बना।

उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालय जीवन

मनमोहन सिंह ने अपनी उच्च शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से पूरी की, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। यहां उनका प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा, और उन्होंने अपने शिक्षकों का ध्यान आकर्षित किया। उनके गहन अध्ययन और विषय के प्रति रुचि ने उन्हें अपने साथियों से अलग किया।

स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (यूके) में दाखिला लिया। कैम्ब्रिज में अध्ययन के दौरान, मनमोहन सिंह ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र में गहरी जानकारी और विशेषज्ञता प्राप्त की। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि यहां उन्हें विश्व के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ अध्ययन करने और उनके विचारों से प्रेरणा लेने का अवसर मिला।

कैम्ब्रिज से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने के बाद, मनमोहन सिंह ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल (डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की। उनकी थीसिस ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उन्हें एक युवा विद्वान के रूप में प्रतिष्ठित किया।

शिक्षक और विद्वान के रूप में प्रारंभिक करियर

शिक्षा पूरी करने के बाद, मनमोहन सिंह ने भारत लौटकर शैक्षणिक क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने 1969 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रूप में कार्यभार संभाला। यहां उन्होंने कई छात्रों को पढ़ाया, जो आगे चलकर भारतीय प्रशासन और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले थे।

उनकी शिक्षण शैली और विषय पर उनकी गहरी पकड़ ने उन्हें एक लोकप्रिय शिक्षक बना दिया। उनके व्याख्यान गहन और प्रेरणादायक होते थे, जिससे छात्रों को न केवल विषय को समझने में मदद मिलती थी, बल्कि वे अर्थशास्त्र के व्यावहारिक पहलुओं को भी बेहतर ढंग से समझ पाते थे।

अर्थशास्त्र के क्षेत्र में योगदान

मनमोहन सिंह ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण शोध और लेख लिखे। उनके शोध कार्य ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याओं का विश्लेषण किया, बल्कि उनके समाधान के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।

उनकी विद्वता और गहरी सोच ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति दिलाई। वे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों में भाग लेने लगे, जहां उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए और अन्य विद्वानों के साथ विचार-विमर्श किया।

परिवार और व्यक्तिगत जीवन

मनमोहन सिंह का व्यक्तिगत जीवन बेहद सादगीपूर्ण और अनुशासित रहा है। उन्होंने गुरशरण कौर से विवाह किया, जो उनके जीवन की महत्वपूर्ण साथी बनीं। गुरशरण कौर ने न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को संवारने में भूमिका निभाई, बल्कि उनके राजनीतिक और शैक्षणिक करियर में भी उनका समर्थन किया।

उनकी तीन बेटियाँ हैं: उपिंदर सिंह, जो एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं; दमन सिंह, जो एक लेखिका हैं; और अमृत सिंह, जो एक वकील हैं। उनके परिवार ने हमेशा उनके निर्णयों और करियर में उनका साथ दिया।

प्रेरणा और संघर्ष

डॉ. मनमोहन सिंह का प्रारंभिक जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा रहा, लेकिन उनकी मेहनत, लगन और संकल्प ने उन्हें इन चुनौतियों से उबरने में मदद की। उनके जीवन का हर चरण हमें यह सिखाता है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी अपनी राह बनाई जा सकती है।

उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति अपनी मेहनत और बुद्धिमता के बल पर उच्चतम शिखर तक पहुंच सकता है। उनके प्रारंभिक जीवन की यह यात्रा न केवल भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह भी दिखाती है कि शिक्षा और समर्पण के माध्यम से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

निष्कर्ष

डॉ. मनमोहन सिंह का प्रारंभिक जीवन संघर्ष, शिक्षा, और दृढ़ संकल्प की कहानी है। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। उनका जीवन हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरत है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि सच्ची मेहनत और लगन से हर मुश्किल को आसान किया जा सकता है।


यह लेख डॉ. मनमोहन सिंह के प्रारंभिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझाने का प्रयास करता है।