Anmol Vachan in Hindi

Mahatma Gandhi Ke Anmol Vachan

आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों।-महात्मागांधी

डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है।-महात्मा गांधी

उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा।
महात्मा गांधी

ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है ।
महात्मा गांधी

आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।
महात्मा गांधी

किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सोने की बेड़ियां, लोहे की बेड़ियों से कम कठोर नहीं होगी। चुभन धातु में नहीं वरन् बेड़ियों में होती है।
महात्मा गांधी

गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी ख़ुशबू बिखेरता है। उसकी ख़ुशबू ही उसका संदेश है।
महात्मा गांधी

क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है।
महात्मा गांधी

Ravindra Nath Tegor  Ke Anmol Vachan

केवल खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप नदी को पार नहीं कर सकते हो।
रवीन्द्रनाथ टैगोर

हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर समस्या न आयें बल्कि यह प्रार्थना करे कि हम उनका सामना निडरता से करे।- रवीन्द्रनाथ टैगोर

प्यार अधिकार का दावा नहीं करता बल्कि यह आजादी देता है।- रवीन्द्रनाथ टैगोर

हम दुनिया में तब जीते हैं जब हम इस दुनिया से प्रेम करते हैं।- रवीन्द्रनाथ टैगोर

जब हम विनम्र होते हैं, तब हम महानता के सबसे करीब होते हैं।- रवीन्द्रनाथ टैगोर

हर वह कठिनाई जिससे आप अपना मुंह मोड़ लेते हैं, वह एक भूत बन कर आपकी नीद में बाधा डालेगी।- रवीन्द्रनाथ टैगोर

उच्च शिक्षा वो नहीं जो हमें सिर्फ जानकारी देती है बल्कि वह है जो हमारे जीवन को सफलता का एक नया आयाम देती है।- रवीन्द्रनाथ टैगोर

मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा तो पाया कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा की तो पाया कि सेवा में ही आनंद है।- रवीन्द्रनाथ टैगोर

यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर ही रह जायेगा।- रवीन्द्रनाथ टैगोर

Swami Dayanand Saraswati Ke Anmol Vachan

जीभ से वही निकलना चाहिए जो अपने हृदय में हैं-स्वामी दयानंद सरस्वती

पूरी तरह से अंधविश्वासी होने के बजाय वर्तमान जीवन में कर्म अधिक महत्वपूर्ण हैं।-स्वामी दयानंद सरस्वती

सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो.
स्वामी दयानंद सरस्वती

ईश्वर पूर्ण रूप से पवित्र और बुद्धिमान है. उसकी प्रकृति, गुण, और शक्तियां सभी पवित्र हैं. वह सर्वव्यापी, निराकार, अजन्मा, अपार, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिशाली, दयालु और न्याययुक्त है. वह दुनिया का रचनाकार, रक्षक, और संघारक है.-स्वामी दयानंद सरस्वती

 

 

 

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