
जन्म तथा पारिवारिक जीवन:
कृष्ण हवलाजी आरा का जन्म सन् 1914 ई. में आन्ध्रप्रदेश में ‘ सिकन्दराबाद’ के उपनगर ‘ बोलाराम’ में हुआ। आपके पिता एक ड्राइवर थे। अत: कठिन परिस्थितियों में ही आपने जीवनयापन किया। पाँचवीं कक्षा तक आपने हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी की पढ़ाई की।
के.एच. आरा ( k h Ara ) की चित्रण यात्रा:
के.एच. आरा ( k h Ara ) का सम्पूर्ण जीवन संघर्षशील रहा, किन्तु फिर भी अनवरत साधना ने आपको शनैः-शनै: इस मुकाम पर पहुँचा दिया कि आज आप राष्ट्र के जाने-माने कलाकारों में गिने जाते हैं |आपने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था, ‘
कलाकार जब तक अपने आपको समाज की भावनाओं, मूल्यों, द्वन्द्वों तथा संघर्ष से एकरूप नहीं कर लेता, तब तक वह अपने चित्रों में समाज का वास्तविक चित्रण नहीं कर सकता।” सात वर्ष की आयु में मुम्बई आकर आपने एक अंग्रेज दम्पती के यहाँ घरेलू नौकर का कार्य किया।
जब वह दम्पती इंग्लैण्ड लौट गया, तो दूसरे के घर में यही काम करते और सुबह-शाम चित्रण का अभ्यास जारी रखते। उनकी चित्रण रुचि को देखते हुए नये मालिक ने उन्हें ‘ गिरगाँव’ के ‘ केतकर इंस्टीट्यूट’ भेज दिया। साथ ही आपने ‘ इंटरमीडिएट ड्राइंग ग्रेड’ परीक्षा पास की और उसके पश्चात् ‘ आर्ट मास्टर’ की। आरा ने भी कभी जलरंग , तो कभी तैल रंग में चित्रण किया।
कभी ज्यामितीय रूपाकारों को लेकर, तो कभी यथार्थ विधान में, कभी अमूर्त चित्रांकन किया। कभी प्रतीकवादी चित्र बनाये। आरा ने दृश्यचित्र, स्टिल-लाइफ, पौराणिक, ऐतिहासिक एवं जनजीवन से संबंधित चित्रों का निर्माण किया।
के.एच. आरा ( k h Ara ) के प्रसिद्ध चित्र
स्टिल-लाइफ ‘,’ हरा सेब ‘,’ लाल मेज ‘,’ चीनी बर्तन ‘,’ टोकरे में रखे पात्र ‘,’ प्रात: कालीन नाश्ते की मेज ‘,’ सुसज्जित पात्र ‘ हैं, जो चटक रंगों (पीले, हरे, काले, गुलाबी, नीले) के सम्मिश्रण से बड़े सुन्दर बने हैं।
अन्य उत्तम चित्रों में उन्मुक्त घोड़ों की सरपट दौड़’, ‘ पनघट पर’, ‘ चक्को पीसने वाले’, ‘ मेले लौटते हुये’, ‘ गाँव के छोर पर’ , ‘ कोना’, ‘ हाट बाजार’ से ‘ नर्तक’, ‘ लकड़हारे धान कूटते हुये’, ‘ स्वतंत्रता दिवस को उल्लासमयी झाँको’ आदि है.
जिनमें हड़बड़ी और उग्र क्रियाशीलता नजर आती है। ‘ निर्वसना’ शीर्षक लिये आरा ने अनेक
सुन्दर चित्र बनाये हैं। व्यक्ति चित्रण करना भी उनको प्रिय रहा है। के.एच. आरा ( k h Ara ) अपने चित्रों में कम से कम रेखाओं एवं रंगों से कलाकृति निर्मित करते थे। प्रयोगात्मक चित्रों में आपने कलेज से तो कभी-कभी खुद के हाथ के अँगूठे से कार्य किया है।
चित्रित फूलों के पत्ते औसूले से आंके गये मिलते हैं। के.एच. आरा ( k h Ara ) ने आजीवन कुँवारे रहकर कला के प्रति समर्पण रखा। पेरिस कला के प्रशंसक होने के नाते ‘ पिकासो’, ‘ मातिस और’ राउले ‘ की कला से प्रभावित रहे।
राष्ट्र के प्रति लगाव: सन् 1928 ई. में जब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन ने जोर पकड़ा, तो आरा से रहा न गया और राष्ट्रीयता के आंदोलन में शामिल हो गये सन् 1930 ई. में महात्मा गांधी द्वारा चलाये के.एच.आरा- ‘ गाँव के छोर गये राष्ट्रव्यापी’ नमक सत्याग्रह ‘ का नेतृत्व पर’ किया और जेल भी गये। जिसमें
के.एच. आरा ( k h Ara ) के चित्रों की प्रदर्शनियाँ:
आरा ने देश के विभिन्न भागों में लगी प्रदर्शनियों में भाग लिया प्रमुख रूप से ‘ मुम्बई आर्ट सोसायटी’, ‘ आर्ट सोसायटी ऑफ इंडिया’ तथा ‘ ललित कला अकादमी’, नई दिल्ली हैं। सन् 1942 ई. में आपने सर्वप्रथम ‘ वन मैन शो’ का आयोजन मुम्बई में किया।
सन् 1950 ई. में केवल ‘ स्टिल लाइफ’ पर आधारित चित्रों की प्रदर्शनी की, जिससे वे ‘ स्टिल विशेषज्ञ’ कहलाने लगे। विदेशों में भी इनके चित्रों का समय-समय पर प्रदर्शन हुआ, जिसमें पेरिस, स्विट्जरलैंड प्रमुख हैं।
के.एच. आरा ( k h Ara ) के प्रमुख पुरस्कार:
आरा को चित्र चित्रित करने की सुविधा से काफी वर्षों तक वंचित रहना पड़ा, परन्तु जब भी मौका व समय मिला, आपने अपने समय का सदुपयोग करके चित्र चित्रित किये। सन् 1935 ई. में प्रथम बार ‘ मुम्बई आर्ट सोसायटी’ की वार्षिक प्रदर्शनी में आपका चित्र चयनित नहीं हो पाया,
किन्तु सन् 1939 ई. में आर्ट सोसायटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में के.एच. आरा ( k h Ara ) के चित्र चयनित भी हुआ व ‘ रजत पदक’ भी मिला। सन् 1944 ई. में जलरंग से बने चित्र ‘ मराठा बैटल’ में उन्हें ‘ गवर्नर का पुरस्कार’ प्राप्त हुआ।
सन् 1952 ई. में जहाँगीर आर्ट गैलेरी के उद्घाटन के अवसर पर लगाई प्रदर्शनी में आरा को स्वर्ण पदक ‘ तथा दो हजार रुपयों का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
सन 1984 ई. में कलाकार के रूप में 50 वर्ष की सेवाओ के रूप में ललित कला अकादमी ने इन्हें रत्न सदस्यता तथा नकद पुरस्कार से सम्मानित किया
प्रोग्रेसिवे आर्टिस्ट ग्रुप की स्थापना – के.एच. आरा ( k h Ara ) ने सन 1947 ई. में मुंबई में प्रोग्रेसिवे आर्टिस्ट ग्रुप की स्थापना की इसकी स्थापना में के.एच. आरा की महत्वपूर्ण भूमिका थी इसके अन्य सदस्य एम.एफ. हुसैन , सैयद हैदर रजा, एफ एन सूजा आदि सदस्य थे
फिल्मों की तरफ रुझान:
कुछ समय तक आरा ने चित्रण के साथ-साथ फिल्म निर्माताओं के साथ सेट्स तैयार करने तथा आर्ट डाइरेक्शन का काम भी किया।
के.एच. आरा ( k h Ara ) की मृत्युः
सन् 1985 ई. की 21 मई को इस संसार से विदा हो गये।